India At the United Nations

By: Amit kumaR Agarwal


भारत ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) के 58वें सत्र की सातवीं बैठक में पाकिस्तान को बहुत ही स्पष्ट रूप से साफ़ साफ़ आइना दिखाया।

भारत ने पाकिस्तान को एक विफल मुल्क करार दिया  और कहा कि पाकिस्तान को आज के दौर में गुजारा करने के लिए दान की जरूरत है। वह पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर है। वह किसी को भी ज्ञान देने की स्थिति में नहीं है।

जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन क्षितिज त्यागी ने पाकिस्तान की सरकार पर सेना के इशारे पर काम करने और उसके प्रोपेगैंडा को जारी रखने का आरोप लगाया। त्यागी की टिप्पणी पाकिस्तानी कानून मंत्री आजम नजीर तरार की ओर से जम्मू और कश्मीर में मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के जवाब में आई।

त्यागी ने कहा, 'यह देखना दुखद है कि पाकिस्तान के नेता और प्रतिनिधि अपने सैन्य आतंकवादी परिसर द्वारा फैलाए गए झूठ को आगे बढ़ाना जारी रखे हुए हैं। पाकिस्तान इस्लामी सहयोग संगठन (ओआईसी) को अपना मुखपत्र बताकर उसका मजाक उड़ा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस परिषद का समय एक असफल मुल्क बर्बाद कर रहा है, जो अस्थिरता पर पनपता है और अंतरराष्ट्रीय दान के सहारे जीवित है। इसकी बयानबाजी पाखंड, अमानवीयता और अक्षमता से भरी हुई है। इसके उलट भारत लोकतंत्र, प्रगति और अपने लोगों के लिए सम्मान सुनिश्चित करने पर फोकस होकर काम कर रहा है। ऐसे मूल्य जिनसे पाकिस्तान को सीखना चाहिए।'

भारत ने पाकिस्तान पर भारत विरोधी बयानबाजी को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। भारत ने दो टूक कहा कि पाकिस्तान अपने घरेलू संकटों को दूर करने में पूरी तरह से असफल रहा है। इसके बावजूद वह अपने बेतुके और गैरजिम्मेदाराना रवैये से बाज नहीं आ रहा है। त्यागी ने दोहराया कि जम्मू और कश्मीर और लद्दाख के केंद्र शासित प्रदेश भारत के अभिन्न अंग हैं और रहेंगे। उन्होंने हाल के वर्षों में इन क्षेत्रों में हासिल किए गए महत्वपूर्ण विकास और स्थिरता का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, 'जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश हमेशा भारत के अभिन्न और अविभाज्य अंग बने रहेंगे। पिछले कुछ वर्षों में जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक प्रगति अपने आप में बहुत कुछ कहती है। ये सफलताएं दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से पीड़ित इस क्षेत्र में सामान्य स्थिति लाने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता में लोगों के भरोसे का प्रमाण हैं। एक ऐसे देश के रूप में जहां मानवाधिकारों का हनन, अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न और लोकतांत्रिक मूल्यों का व्यवस्थित क्षरण राज्य की नीतियों का हिस्सा है और जो बेशर्मी से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादियों को पनाह देता है, पाकिस्तान किसी को भी उपदेश देने की स्थिति में नहीं है।'